मैं तुम्हारे अक्ष पर उँगलीयाँ घुमाता किस तरह तुम बताओ ख्वाब में आता तो आता किस तरह हर तरफ थी चाँदनी पर तम सा आलम हो गया तुम बताओ चित्र पर नजरे गिराता किस तरह रात के आगौश में फिर ख्वाबों औढे़ सो गया मखमली सी ख्वाईशे भी मैं बिछाता किस तरह मां के आंचल से बंधी थी प्यार की जो डोरियाँ लांगकर मैं बेड़ीयां आता तो आता किस तरह पुष्प के गुंजार का आलम यह मधुकर जानता दिलकशी का राज़ भी तो राज बताता किस तरह शायर भरत राज 9983917025
It is my good fortune that I was born to Mr. Pukhraj Singh Rajpurohit and Nain Kanwar Rajpurohit. Father gave me discipline and soulfulness as heritage, and mother taught to live with truth and faith.