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एक आदमी चला इतना चला,

एक आदमी चला
इतना चला,
दुनिया से आगे
निकल गया ,
पर घर नहीं
पहुंचा
एक आदमी चला
राजा था, मंत्री थे
संत्री थे,
सेनानायक था,
सेना थी,
जननायक थे,
जनसेवक थे,
समाज सेवक थे,
कर्तव्यनिष्ट थे,
कर्तव्यपरायण थे,
सब साथ चले
पर बराबर नहीं चल सके,
आदमी अकेला ही था
एक आदमी चला
इतना चला
दुनिया से आगे
निकल गया
एक आदमी चला
सड़के थी, गाड़ी थी,
ड्राइवर था,
देश था, राज्य था,
जिले थे, शहर था,
गांव था, घर था
अपने थे, पड़ोसी थे
सब साथ चले
पर बराबर नहीं चल सके,
आदमी अकेला ही था
एक आदमी चला
इतना चला
दुनिया से आगे
निकल गया
एक आदमी चला
वह पहुंच गया
सृष्टि के उस पार
जीवन भर साथ चलने वाले
लोगों को देखने
देखने कि कब तक
साथ चले

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kirdaar

हयात की रुकी रफ्तार पता नहीं भरत तेरा क्या किरदार पता नहीं हम तो वो आशा के दीप जगा बैठे तुम हुए आज भी खुद्दार पता नही क्या मिली अपनों से हार पता नहीं क्या टूटे है दिल के तार पता नहीं हम गैरो को संगदिल समझ बैठे हा मिली उन्हीं से मार पता नहीं जिन्दगी तेरी जो रफ्तार पता नहीं भरत तेरा क्या किरदार पता नहीं शायर भरत राज