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क्यों तो कोई सृष्टि तुम पर रहम करें

क्यों तो कोई सृष्टि तुम पर रहम करें
या तो अपनी सांस रोककर खुद मर जाएं
या फिर तोड़ फ़ेंक दे इब्ने-आदम के सींगों को
नाखूनों को तोड़- कुचलकर खाद बनाए,
दांतो को रहने दें बाजारों में बिकने,
या तो अपने पंख नोंच ले
तोड़ फोड़ दे अपनी सुन्दरता के सपने
या फिर खुद ही खा ले गहरी दीमक को
फड़फड़ करते कंकालों से प्राण खींच ले
और फूंक दे केवल कच्ची कलियों में
या फिर पुष्पों के यौवन में या पानी की धारा में
क्यों तो कोई सृष्टि तुम पर रहम करें
या तो अपनी सांस रोककर खुद मर जाएं
भरत राजगुरु
Bharat RajGuru

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kirdaar

हयात की रुकी रफ्तार पता नहीं भरत तेरा क्या किरदार पता नहीं हम तो वो आशा के दीप जगा बैठे तुम हुए आज भी खुद्दार पता नही क्या मिली अपनों से हार पता नहीं क्या टूटे है दिल के तार पता नहीं हम गैरो को संगदिल समझ बैठे हा मिली उन्हीं से मार पता नहीं जिन्दगी तेरी जो रफ्तार पता नहीं भरत तेरा क्या किरदार पता नहीं शायर भरत राज