मैं तुम्हारे अक्ष पर उँगलीयाँ घुमाता किस तरह
तुम बताओ ख्वाब में आता तो आता किस तरह
हर तरफ थी चाँदनी पर तम सा आलम हो गया
तुम बताओ चित्र पर नजरे गिराता किस तरह
रात के आगौश में फिर ख्वाबों औढे़ सो गया
मखमली सी ख्वाईशे भी मैं बिछाता किस तरह
मां के आंचल से बंधी थी प्यार की जो डोरियाँ
लांगकर मैं बेड़ीयां आता तो आता किस तरह
पुष्प के गुंजार का आलम यह मधुकर जानता
दिलकशी का राज़ भी तो राज बताता किस तरह
शायर भरत राज
9983917025
तुम बताओ ख्वाब में आता तो आता किस तरह
हर तरफ थी चाँदनी पर तम सा आलम हो गया
तुम बताओ चित्र पर नजरे गिराता किस तरह
रात के आगौश में फिर ख्वाबों औढे़ सो गया
मखमली सी ख्वाईशे भी मैं बिछाता किस तरह
मां के आंचल से बंधी थी प्यार की जो डोरियाँ
लांगकर मैं बेड़ीयां आता तो आता किस तरह
पुष्प के गुंजार का आलम यह मधुकर जानता
दिलकशी का राज़ भी तो राज बताता किस तरह
शायर भरत राज
9983917025
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