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तेरी सदा
दुआ सही
मेरी वफा
फरेब कैसे
यह जहान
तुमने देखा
क्या हुआ
मगर फैसला
नही किया
कोई गुनाह
इश्क सर
चढ़ा रहा
हया कैसे 
नही चमकी
वक्त रोज
समझा रहा
हर तरफ 
धूंआ धुंआ
क्या करे
अब फैसला
शायर भरत राज

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