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Showing posts from March 13, 2016

sagai ke vkt

मैं तुम्हारे अक्ष पर उँगलीयाँ घुमाता किस तरह तुम बताओ ख्वाब में आता तो आता किस तरह हर तरफ थी चाँदनी पर तम सा आलम हो गया तुम बताओ चित्र पर नजरे गिराता किस तरह रात के आगौश में फिर ख्वाबों औढे़ सो गया मखमली सी ख्वाईशे भी मैं बिछाता किस तरह मां के आंचल से बंधी थी प्यार की जो डोरियाँ लांगकर मैं बेड़ीयां आता तो आता किस तरह पुष्प के गुंजार का आलम यह मधुकर जानता दिलकशी का राज़ भी तो राज बताता किस तरह शायर भरत राज 9983917025