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kirdaar

हयात की रुकी रफ्तार पता नहीं
भरत तेरा क्या किरदार पता नहीं
हम तो वो आशा के दीप जगा बैठे
तुम हुए आज भी खुद्दार पता नही
क्या मिली अपनों से हार पता नहीं
क्या टूटे है दिल के तार पता नहीं
हम गैरो को संगदिल समझ बैठे
हा मिली उन्हीं से मार पता नहीं
जिन्दगी तेरी जो रफ्तार पता नहीं
भरत तेरा क्या किरदार पता नहीं
शायर भरत राज


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