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प्रीत
चुपके चुपके घूमा करती राजा अक्षर बगियों में
प्रेम मिलन की बाते करती राजा अक्षर सखियों में
तेरे लब की एक छूअन ने दिल को ऐसा ठहराया
वो रफ्ता रफ्ता तैरा करती राजा तेरी अंखियों में
शायर भरत राज

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