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ज़माने से कहो , मेरे तजुर्बों पर हंसा न करें
आँधियाँ गर गम की  सताये तो नशा ना करें

अच्छा  रहेगा  पतली गली नाप कर निकल लें
यूँ प्यार मुहब्बत के चक्कर में फंसा ना करें

शायर भरत राज 

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