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ज़माने से कहो , मेरे तजुर्बों पर हंसा न करें
आँधियाँ गर गम की  सताये तो नशा ना करें

अच्छा  रहेगा  पतली गली नाप कर निकल लें
यूँ प्यार मुहब्बत के चक्कर में फंसा ना करें

शायर भरत राज 

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kirdaar

हयात की रुकी रफ्तार पता नहीं भरत तेरा क्या किरदार पता नहीं हम तो वो आशा के दीप जगा बैठे तुम हुए आज भी खुद्दार पता नही क्या मिली अपनों से हार पता नहीं क्या टूटे है दिल के तार पता नहीं हम गैरो को संगदिल समझ बैठे हा मिली उन्हीं से मार पता नहीं जिन्दगी तेरी जो रफ्तार पता नहीं भरत तेरा क्या किरदार पता नहीं शायर भरत राज