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मैं  चमकते  दीप की बाती बनूँ तो
फिर तुम्हारे प्यार की पाती बनूँ तो

तुम  जरा  नजरें उठा कर देखो ना
स्वर सजाए  प्यार  के गाती  बनूँ तो

मुख से अपने फिर हटाओ हाथो को
चेहरा तुम्हारा देखकर जाती बनूँ तो

दिल से मेरे नाम अपना ना मिटाओ
भूलकर फिर  प्रीत  दुहराती बनूँ तो

मैं  चमकते  दीप की बाती बनूँ तो
फिर तुम्हारे प्यार की पाती बनूँ तो

भरत राज़

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