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मैं  चमकते  दीप की बाती बनूँ तो
फिर तुम्हारे प्यार की पाती बनूँ तो

तुम  जरा  नजरें उठा कर देखो ना
स्वर सजाए  प्यार  के गाती  बनूँ तो

मुख से अपने फिर हटाओ हाथो को
चेहरा तुम्हारा देखकर जाती बनूँ तो

दिल से मेरे नाम अपना ना मिटाओ
भूलकर फिर  प्रीत  दुहराती बनूँ तो

मैं  चमकते  दीप की बाती बनूँ तो
फिर तुम्हारे प्यार की पाती बनूँ तो

भरत राज़

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kirdaar

हयात की रुकी रफ्तार पता नहीं भरत तेरा क्या किरदार पता नहीं हम तो वो आशा के दीप जगा बैठे तुम हुए आज भी खुद्दार पता नही क्या मिली अपनों से हार पता नहीं क्या टूटे है दिल के तार पता नहीं हम गैरो को संगदिल समझ बैठे हा मिली उन्हीं से मार पता नहीं जिन्दगी तेरी जो रफ्तार पता नहीं भरत तेरा क्या किरदार पता नहीं शायर भरत राज