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ऐ साकी जरा मुझको बता मुस्कान की कीमत
कब आएगा क्या होगी इस मेहमान की कीमत
जरा मुझको सँभालने दे दुनिया की रवायत से
चूका दूंगा मैं जल्दी ही  तेरे एहशान की कीमत

शायर भरत्त राज़

Comments

  1. तेरी सदा
    दुआ सही
    मेरी वफा
    फरेब कैसे
    यह जहान
    तुमने देखा
    क्या हुआ
    मगर फैसला
    नही किया
    कोई गुनाह
    इश्क सर
    चढ़ा रहा
    हया कैसे
    नही चमकी
    वक्त रोज
    समझा रहा
    हर तरफ
    धूंआ धुंआ
    क्या करे
    अब फैसला
    शायर भरत राज

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