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ताकता हूँ आसमां और जमीं
कहीं फिर  पूरी हो तेरी कमी

किस तरह तुमको बताऊ रे
बंदआँखों में भी ठहरी है नमीं

जब गुजरा था वो पल याद कर
और ले साया भी मेरा साथ चल

आओ  जरा तुमको दिखाऊ रे
प्रीत में तरसा पुराना एक पल 

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kirdaar

हयात की रुकी रफ्तार पता नहीं भरत तेरा क्या किरदार पता नहीं हम तो वो आशा के दीप जगा बैठे तुम हुए आज भी खुद्दार पता नही क्या मिली अपनों से हार पता नहीं क्या टूटे है दिल के तार पता नहीं हम गैरो को संगदिल समझ बैठे हा मिली उन्हीं से मार पता नहीं जिन्दगी तेरी जो रफ्तार पता नहीं भरत तेरा क्या किरदार पता नहीं शायर भरत राज