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ताकता हूँ आसमां और जमीं
कहीं फिर  पूरी हो तेरी कमी

किस तरह तुमको बताऊ रे
बंदआँखों में भी ठहरी है नमीं

जब गुजरा था वो पल याद कर
और ले साया भी मेरा साथ चल

आओ  जरा तुमको दिखाऊ रे
प्रीत में तरसा पुराना एक पल 

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